10th pass Man left traditional farming to grow strawberries; 9 lakh profit in the first year, know the whole process

 10th pass Man left traditional farming to grow strawberries; 9 lakh profit in the first year, know the whole process.


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अभी स्ट्रॉबेरी का सीजन है। मार्केट में इसकी डिमांड भी है। कोरोना के बाद इम्यून बूस्टर के रूप में भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। भोपाल के रहने वाले सुदान सिंह कुशवाह पारंपरिक खेती छोड़कर दो साल से स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं। उन्होंने तीन एकड़ में करीब 70 हजार से ज्यादा स्ट्रॉबेरी के प्लांट लगाए हैं। पिछले साल 9 लाख रुपए का मुनाफा उन्हें हुआ था। इस साल दोगुना मुनाफा होने की उम्मीद है।

40 साल के सुदान किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। 10वीं बाद पढ़ाई छोड़कर वे खेती करने लगे। पहले वे पारंपरिक खेती करते थे, लेकिन मन मुताबिक आमदनी नहीं होती थी। कई बार मौसम की वजह से फसल को नुकसान भी हो जाता था। बड़ी मुश्किल से परिवार का खर्च चलता था।

दो साल पहले सुदान सिंह ने मार्केट में स्ट्रॉबेरी का फल देखा। इसकी कीमत और डिमांड देखकर उनके मन में ख्याल आया कि क्यों न एक बार इसमें भी हाथ आजमाया जाए। इसके बाद उन्होंने स्ट्रॉबेरी फार्मिंग के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की। कुछ किसानों से मिले और इसकी प्रोसेस को समझा।

पुणे से प्लांट मंगाकर शुरू की स्ट्रॉबेरी की खेती

इसके बाद साल 2020 में सुदान ने पुणे से स्ट्रॉबेरी के 24 हजार प्लांट मंगाए। जिसकी लागत करीब 2.4 लाख रुपए पड़ी। फिर मल्चिंग और खेत की तैयारी में पैसे खर्च हुए। कुल मिलाकर करीब 4.5 लाख रुपए में पहली बार उन्होंने एक एकड़ जमीन से स्ट्रॉबेरी की खेती की शुरुआत की।

अगले साल यानी जनवरी से प्रोडक्शन शुरू हो गया। फिर भोपाल और उसके आसपास के इलाकों में वे इसकी मार्केटिंग करने लगे। इससे अच्छी खासी उनकी आमदनी हुई। पहले साल करीब 9 लाख रुपए की आमदनी हुई। हालांकि बाद में कोविड की वजह से सबकुछ ठप भी हो गया और कुछ नुकसान भी उठाना पड़ा।

इसके बाद अगले सीजन में सुदान ने खेती का दायरा बढ़ा दिया। एक एकड़ की बजाय तीन एकड़ जमीन में स्ट्रॉबेरी के प्लांट लगा दिए। अभी उनके पास 70 हजार से ज्यादा प्लांट हैं और हर दो दिन के बाद करीब 300 किलो का प्रोडक्शन हो रहा है, जिसे वे भोपाल और आसपास के इलाकों में बेच रहे हैं। सुदान कहते हैं कि इस बार पिछले साल की तुलना में दोगुना मुनाफा होने की उम्मीद है।

आप भी सुदान की तरह स्ट्रॉबेरी की खेती करना चाहते हैं तो हम आपको इसकी पूरी प्रोसेस समझा रहे हैं। इसके लिए हमने दिलीप कुमार से बात की है जो पुणे की एक बायोप्लांट कंपनी में काम करते हैं और देशभर में किसानों को स्ट्रॉबेरी फार्मिंग की ट्रेनिंग देते हैं…

स्ट्रॉबेरी की खेती कब करनी चाहिए?

मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में सितंबर अक्टूबर स्ट्रॉबेरी की प्लांटिंग की जाती है। उत्तराखंड, हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों में अक्टूबर से दिसंबर तक इसकी प्लांटिंग होती है। बाकी राज्यों में भी कमोबेश इन्हीं महीनों में स्ट्रॉबेरी के प्लांट लगाए जाते हैं। चूंकि प्लांट की साइकिल करीब 6 महीने की होती है। इसलिए प्लांटिंग करते वक्त इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि इस ड्यूरेशन में टेम्परेचर 30 डिग्री से ज्यादा नहीं हो।

स्ट्रॉबेरी की खेती से पहले जमीन की तैयारी की जाती है। तीन से चार बार खेत की जुताई करने के बाद भरपूर मात्रा में गोबर मिला दें। इसके बाद दो फीट का गैप छोड़कर अलग-अलग बेड तैयार करें। हर बेड की चौड़ाई करीब 60 सेमी और लंबाई खेत की लंबाई जितनी होती है। इसके बाद प्लाटिंग की जाती है। एक प्लांट के बीच 12 सेमी की दूरी होती है। प्लांटिंग के बाद हर दो से तीन दिन के बीच ड्रिप इरिगेशन तकनीक से सिंचाई करनी चाहिए।

चूंकि स्ट्रॉबेरी प्लांट की हाइट ज्यादा नहीं होती है। लिहाजा इसके फ्रूट जमीन से लग जाते हैं और खराब भी हो जाते हैं। इसलिए प्लांटिंग करते वक्त मल्चिंग करना जरूरी होता है। ताकि फ्रूट निकले तो वो जमीन के बजाय पन्नी पर ही रहें। इससे खराब मौसम और खर-पतवार से भी राहत मिलती है।

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इसके लिए किस तरह की मिट्टी की जरूरत होती है?

स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए लाल मिट्टी सबसे बेहतर होती है। हालांकि काली मिट्टी पर भी कई लोग इसकी खेती कर रहे हैं और बेहतर प्रोडक्शन भी हो रहा है। कोशिश इस बात की होनी चाहिए कि खेत में पानी नहीं ठहरे यानी जलजमाव की स्थिति नहीं हो। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि मिट्टी मुलायम और भुरभुरी हो। ताकि प्लांट का रूट अंदर तक चला जाए।

मौसम अनुकूल नहीं हो तब स्ट्रॉबेरी कैसे उगाएं?

स्ट्रॉबेरी विंटर क्रॉप है। गर्मी बढ़ने पर फसल को नुकसान होने लगता है। इसके लिए 30 डिग्री से कम ही टेम्पेरचर होना चाहिए। अगर इससे ज्यादा टेम्परेचर है तो स्ट्रॉबेरी की खेती से बचना चाहिए। हालांकि पॉलीहाउस और कूलर लगाकर आप थोड़ा बहुत टेम्परेचर कंट्रोल कर सकते हैं, लेकिन इसमें प्रोडक्ट की क्वालिटी पर असर होगा और खर्चा भी ज्यादा आएगा।

इसके बीज कहां से ला सकते हैं? कौन सी वैराइटी अच्छी होती है?

अच्छी स्ट्रॉबेरी के प्लांट देश में कई शहरों में मिलते हैं। वैसे ज्यादातर किसान पुणे से इसके प्लांट खरीदते हैं। कई किसानों ने अपने यहां नर्सरी भी लगाई है। बेहतर गाइडेंस और जानकारी के लिए नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से कॉन्टैक्ट सकते हैं। कई लोग ऑनलाइन भी प्लांट सेल करते हैं।

जहां तक वैराइटी की बात है ट्योगा, टोरे, एन आर राउंड हैड, रैड कोट, चांडलर कनफ्यूचरा, डागलस, गारौला, सैलवा और बेलरूबी की खेती भारत में होती है। ज्यादातर लोग ट्योगा, टोरे और चांडलर की खेती करते हैं। इनके फ्रूट्स का साइज ज्यादा होता है।

एक बार प्लाटिंग के बाद कितने साल तक फल ले सकते हैं?

सामान्य तौर पर स्ट्रॉबेरी की साइकिल 6 महीने की होती है। इसके बाद ज्यादातर प्लांट गर्मी की वजह से मर जाते हैं। कई लोग टेम्परेचर कंट्रोल करके जिंदा रखते हैं, लेकिन इसमें लागत बढ़ जाती है। इसलिए नए सिरे से प्लांटिंग करना ही बेहतर होता है।

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मार्केटिंग के लिए क्या करें? अगर फ्रूट नहीं बिक पाया तो क्या करना चाहिए?

बड़े शहरों के साथ ही छोटे शहरों में भी स्ट्रॉबेरी की डिमांड है। चूंकि इसके कई हेल्थ बेनिफिट्स होते हैं इसलिए कोविड के बाद इसकी डिमांड और ज्यादा बढ़ी है। लोकल मार्केट के साथ ही बिग बास्केट और सुपर फूड्स स्टोर में इसकी अच्छी कीमत मिल जाती है। कई किसान ऑनलाइन भी सेल करते हैं।

इसके बाद भी अगर आपके पास फ्रूट बच जाता है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। आप चाहें तो इसे कोल्ड स्टोरेज में रख सकते हैं या इसका पल्प तैयार करके प्रोसेसिंग भी कर सकते हैं। इससे अचार, आइसक्रीम, चॉकलेट, स्वीट्स सहित कई आइटम्स बनते हैं। बड़ी कंपनियां इससे मेडिसिन और इम्यून बूस्टर प्रोडक्ट भी बनाती हैं। आप उन्हें अपना प्रोडक्ट सप्लाई कर सकते हैं।

स्ट्रॉबेरी की खेती में लागत और मुनाफे का गणित क्या है?

कमर्शियल लेवल पर स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए कम से कम एक एकड़ जमीन की जरूरत होती है। जिसमें करीब 24 हजार प्लांट लगते हैं। एक प्लांट की कीमत करीब 10 रुपए होती है। यानी 2.4 लाख प्लांट का खर्च। इसके अलावा मल्चिंग, ड्रिप इरिगेशन, खेत की तैयारी और मेंटेनेंस में खर्च लगता है। कुल मिलाकर करीब 4 लाख रुपए की जरूरत होती है। इसके लिए सरकार की तरफ से 50 फीसदी तक सब्सिडी भी मिलती है।

जहां तक मुनाफे की बात है, एक प्लांट से करीब 500 ग्राम फल निकलता है। यानी एकड़ से करीब 12 टन स्ट्रॉबेरी का प्रोडक्शन होता है। अगर इसे 100 रुपए किलो के हिसाब से भी बेचा जाए तो 12 लाख रुपए की सेल होगी। यानी एक सीजन में करीब 8 लाख का मुनाफा।

अगर आप बड़े शहरों तक पहुंच सकते हैं तो और अधिक मुनाफा होगा। क्योंकि वहां इसकी कीमत 200 रुपए किलो तक भी होती है। कई किसान ज्यादा मुनाफा के लिए वक्त से पहले ही प्लांटिंग कर देते हैं। ताकि जब बाजार में स्ट्रॉबेरी कम उपलब्ध हो तो वे बढ़िया दाम पर बेच सकें। कई किसान स्ट्रॉबेरी के साथ ही दूसरी सब्जियों की भी खेती करते हैं।

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