फसलों एवं सब्जियों को पाले से कैसे बचायें एकदम नए तरीके से.
फसलों एवं सब्जियों को पाले से कैसे बचायें एकदम नए तरीके से.
केन्द्र के मौसम विज्ञान केन्द्र के आंकड़ों के अनुसार उत्तर भारत में बर्फवारी होने के कारण
वर्तमान में सभी तरफ ठंड का असर दिखाई दे रहा है। रात का पारा लगातार गिर रहा है।
यदि पारा चार डिग्री से नीचे जाता है तो शीत लहर एवं पाले की संभावना बनती है साथ ही शाम
को आसमान साफ हो हवा बंद हो एवं तापमान कम हो तो पाला पडऩे की संभावना हो जाती
है। जिससे रबी फसलों और सब्जियों में 20-70 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है।
अत: किसान भाईयों को पाले से फसल को बचाने के लिए किस्मों का उचित उपचार करें।
पाले के प्रभाव से फल-फूल झडऩे लगते हैं। प्रभावित फसल का हरा रंग खत्म हो जाता है।
पत्तियों को रंग मिट्टी जैसा हो जाता है और पौधों के पत्ते झडऩे से बेक्टीरियल बीमारियों का
प्रकोप बढ़ जाता है। पत्ती, फल, फूल सूख जाते हैं। फल के उपर धब्बे पड़ जाते है और स्वाद
भी खराब हो जाता है। पाले से प्रभावित फल और सब्जियों में कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है
और कभी-कभी पूरी सब्जी की फसल नष्ट हो जाती है। शीत ऋतु वाले पौधे 2 डिग्री सेल्सियस
तक का तापमान सह सकते हैं। इससे तापमान कम होने पर पौधों में उपलब्ध पानी बर्फ के
रूप में बदल जाता है। जो सामान्य पानी के तापमान से अधिक होता है। चूंकि फसलों में पाले
से बचने के उपायों से पौधे के अंदर का तापमान अधिक नहीं गिर पाता एवं फसल भी बच
जाती है। किसान भाई अपनी फसलों को पाले से बचाने हेतु निम्न उपाय करें –
- पाला पडऩे की संभावना होने पर हल्की सिंचाई करें जिससे भूमि का तापमान 0.5-2.0 2 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है।
- पाले से सर्वाधिक हानि नर्सरी में होती है पौधों को पॉलीथिन में ढक दें परंतु पौधों का दक्षिण-पूर्वी भाग खुला रखें ताकि नर्सरी में सुबह एवं दोपहर की धूप मिलती रहे।
- पाले से बचाव के लिये ग्लूकोज का उपायेग अत्यंत प्रभावी उपाय है खड़ी फसल पर 25 ग्राम ग्लूकोज प्रति पम्प की दर से छिडक़ें। यदि फसल पाले की चपेट में आ गई हो तो तुरंत 25 से 30 ग्राम ग्लूकोज प्रति पम्प की दर प्रभावित क्षेत्र पर छिडक़ाव करें।
- एनपीके 18:18:18 या 19:19:19 या 20:20:20, 100 ग्राम 25 ग्राम एग्रोमिन प्रति पम्प की दर से पाला प्रभावित फसल पर छिडक़ाव करें या एनपीके 00:52:34 की एक किग्रा मात्रा प्रति एकड़ की दर से पर्णीय छिडक़ाव करें ।
- सल्फर डस्ट 08 से 10 किलो प्रति एकड़ की दर से खेत में भुरकाव करें।
- थायो यूरिया 15 ग्राम प्रति पम्प अथवा 150 ग्राम 150 लीटर पानी के साथ प्रति एकड़ की दर खड़ी फसल पर छिडक़ाव करें।
- म्यूरेट ऑफ पोटाश 150 ग्राम प्रति पम्प अथवा 1.5 किग्रा प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी के साथ छिडक़ाव करें।
- तनु सल्फ्युरिक अम्ल 15 मिली प्रति पम्प अथवा 150 मिली को 150 लीटर पानी में मिलाकर छिडक़ें।
- घुलनशील गंधक 80 प्रतिशत 3 ग्राम प्रति लीटर अथवा थायो यूरिया 4.5 ग्राम प्रति लीटर अथवा बेन्टोनाईट सल्फर 3 ग्राम प्रति लीटर की दर से छिडक़ें।
- स्थाई समाधान के लिये खेत के उत्तर-पश्चिम दिशा में वायुरोधक वृक्षों की बाड़ तैयार कर पाले के प्रभाव को कम किया जा सकता है। पाले का प्रभाव दो सप्ताह तक रहता है यदि इस अवधि में शीत लहर पाले की संभावना हो तो गंधक के अम्ल के छिडक़ाव को 15-15 दिन के अंतर से दोहराते रहे जिससे फसल पाले से बची रहती है साथ ही फसल पौधों में लोह तत्व की सक्रियता बढ़ जाती है। जिन फसलों में पाला लग चुका है उनमें रिकवरी हेतु 18:18:18 या 19:19:19 या 20:20:20, 5 ग्राम/लीटर पानी की दर से छिडक़ाव करें। अन्य जानकारी या समस्या निदान हेतु केन्द्र के दूरभाष पर संपर्क करें।
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